भारत में कोरोना के अलावा किसी की चीज की सबसे ज्यादा चर्चा इस वक्त है, वह है तबलीग़ी जमात, जिसका पूरा नाम मरकज तबलीग़ी जमात है। यह जमात हर साल अपनी धार्मिक प्रचार के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन इस साल कोरोना के कहर से इनके सदस्य भी बच नहीं सके और जब कोरोना के लक्षण उनके शरीर में प्रकट नहीं हुए तो वे देश के अलग-अलग हिस्सों में चले गए, जहां इनका आवास था।
इस वजह से उनके परिवार और मोहल्ले को भी इस संक्रामक रोग का भय बढ़ गया, जैसे की शुरुआती क्षण में देखने को भी मिल रहा है। जिसके कारण यह जमात सुर्खियां में बना हुआ है और कोई इस पर बात कर ले, मामला बहुत गर्म हो जाता है। लेकिन आपका पूरा अधिकार है कि आप जाने तबलीग़ी जमात आखिर है क्या? आज हम इस जमात पर रोशनी डालेंगे।
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Tablighi Jamaat क्या है?
मरकज का मतलब होता है, केंद्र। तबलीग़ी का मतलब होता है धर्म का प्रचार और जमात का मतलब समूह से होता है। इसे एक लाइन में कहें तो यह इस्लाम प्रचार समूह है, जिसका विचारधारा काफी पुराना है।
इस जमात के अनुसार इस्लाम को मानने वाले को इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद ने अपने जीवन काल में जिस तरह से धार्मिक अनुष्ठान, पोशाक और निजी व्यवहार रखते थे, को फॉलो करना चाहिए। यहीं बातों को प्रचार-प्रसार का कार्य इस जमात के सदस्य करते है।
Tablighi Jamaat के Founder
इस्लाम को मजबूत करने के उद्देश्य से 1927 में मेवात के मुहम्मद ईयास ने दिल्ली के निज़ामुद्दीन में इस मूवमेंट की शुरुआत करी थी और बहुत ही जल्द हजारों इस्लामिक लोग इसके अनुयायी बन गए।
लेकिन आज के समय यह जमात 180 से 200 देशों में फैल चुकी है, जिसमे 15 से 25 करोड़ अनुयायी है, जो सबसे ज्यादा साउथ ईस्ट एशिया में फैला हुआ है। इस जमात का पहला मीटिंग 1941 को निज़ामुद्दीन में हुआ था।
वैसे इस जमात का सबसे बड़ा जलसा बांग्लादेश में होता है, जिसके बाद पाकिस्तान है। इस जमात के प्रमुख को आमिर कहा जाता है, वही इस समूह को मुख्यतौर पर नेतृत्व करता है।
तबलीग़ी जमात के सिद्धांत
यह जमात छह सिद्धांतों की बात करता है, जिसका पालन करना हर सदस्य से इसकी उम्मीद ही नहीं की जाती है, बल्कि गाँव-शहर जाकर हर तबके के इस्लामिक लोगों को इस बारे में उपदेश देना भी शामिल है।
कलमा –कलमा पढ़ना
सलाह – पांचों वक्त की नवाज पढ़ना
इल्म – इस्लामिक शिक्षा
इकराम ए मुस्लिम- मुस्लिम का सम्मान
इख़लास ए नियत – नेक इरादे रखना
डावात ओ तबलिग – प्रचार करना
तबलीगी जमात कैसे काम करता है?
देश में इस जमात से जुड़े मस्जिद हर शहर में है, जहां हर दिन धार्मिक अध्ययन के लिए लोग आते-जाते रहते है। लेकिन हर साल सलाना मीटिंग होती है, जो निजमुद्दीन में आयोजित किया जाता है। जहां पर आए अनुयायियों को 8-10 व्यक्तियों की समूह में बाँट दिया जाता है और उन्हें कई छोटे-बड़े जगहों पर इस्लाम के प्रचार के लिए भेजा जाता है।
उम्मीद है कि आपको इस पोस्ट से तबलीग़ी जमात के बारे में पर्याप्त जानकारी मिली होगी। इस पोस्ट को दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।
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